Wednesday, 6 November 2013

हिमालय व पर्यटन

हिमालय पर्वत श्रंखला विश्व की सबसे ऊँची पर्वत श्रंखला है.  यह कई पर्वतों से मिलकर बनी एक पूर्ण पर्वतमाला है जैसे - धोलाधर,पीरपंजाल, महाभारत इत्यादि. यह भारत में उत्तर से लेकर उत्तर- पूर्व तक फैली हुई है.  लगभग 7 लाख वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र विस्तृत इस पर्वत माला में कई महत्वपूर्ण वन, वन्य-जीव जंतु, छोटी बड़ी नदियों के उद्गम स्थल, खनिज संसाधन इत्यादी प्रचुर मात्रा में उपलब्ध है. इसके अतिरिक्त फलो की बागवानी भी प्रमुखतः हिमालयी क्षेत्रो में की जाती है. हिमालय की अवस्थिति सुरक्षा की नज़र से भी अति महतवपूर्ण है. हिमालय पर्वत तिब्बत की ओर से आने वाली ठंडी पवनो को रोककर समूचे दक्षिण एशिया को गर्म रखता है एवं मानसून की पवनो को भारत में ही अवरूध कर भारतीय कृषि में महतवपूर्ण भूमिका निभाता है जो की भारतीय अर्थवयवस्था का अभिन्न अंग है.
उपरोक्त लिखित लाभों के अतिरिक्त हिमालय भारत को पर्यटन के संसाधन भी उपलब्ध कराता है अर्थात हिमालय पर्वतीय पर्यटक स्थल. हिमालय क्षेत्र में पर्यटक स्थल  न केवल पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र  है, साथ ही स्थानीय लोगो की आय का साधन भी है. इस क्षेत्र में आने वाले पर्यटक यहाँ की स्थानीय अर्थवयवस्था में अपनी सक्रिय भूमिका निभाते है.  हिमालय क्षेत्र में पर्यटन यहाँ के लोगो को बड़े स्तर पर रोजगार उपलब्ध करवाता है.
 हिमालय में विकसित हुए कई छोटे बड़े शहर विश्व प्रसिद्ध स्थल है जैसे - शिमला, श्रीनगर, डलहौजी, मनाली, मैकलोडगंज, मसूरी, नैनीताल, दार्जीलिंग, गंगटोक इत्यादि. हिमालय पर्वतीय स्थल पर्यटकों को लुभाने में काफी हद तक सफल  रहे है.  इन स्थलों को विकसित करने में ब्रिटिश शासन का बड़ा योगदान रहा है. भारत जैसे गर्म उष्ण कटिबंधीय देश में अपनी सत्ता को बनाये रखने के लिए उन्होंने भारत में ठन्डे प्रदेशो के कुछ स्थानों को अपने आराम व छुट्टियों के लिए चयनित कर उन क्षेत्रो का विकास किया तथा इन क्षेत्रो को शिक्षा का केंद्र भी बनाया. जिस कारण इन पर्वतीय स्थलों में ब्रिटिश राज व उनकी संस्कृति के अवशेष अभी भी दिखाई देते है. उदहारण के लिए इन पर्वतीय स्थलों पर माल रोड अधिकतर पर्यटकों के आकर्षण का मुख्य केंद्र है, जो की ब्रिटिश राज की देन है. इस सब के अतिरिक्त ब्रिटिश शासन के दोरान ही कुछ पर्वतीय स्थलों पर रेल का संचालन एक महतवपूर्ण देन रही है.
दुर्गम रास्तो के बावजूद भी पर्यटकों में इन स्थानों को लेकर खासा उत्साह रहता है. ये पर्वतीय स्थल घरेलू व विदेशी पर्यटकों के आकर्षण का मुख्य केंद्र है. विशेषकर उत्तर भारत के मैदानी इलाको में गर्मी का असर  अधिक रहने के कारण लोगो में हिमालय पर्वतीय स्थलों की ओर आकर्षण अधिक रहता है.
हिमालय क्षेत्र की धार्मिक महत्तवता  भी पर्यटको को काफी बड़ी मात्रा में आकर्षित करती है तथा यहाँ प्रत्येक धर्म से सम्बंधित धार्मिक स्थल है.  जम्मू  कश्मीर में  हिमालयी क्षेत्र  अनेक धार्मिक स्थलो की विविधताएं धारण  किए  हुए है. जम्मू में स्थित वैष्णो देवी, कश्मीर में स्थित अमरनाथ, श्रीनगर  में स्थित हज़रात बल दरगाह, लद्दाख में स्थित बौद्ध मठ इत्यादि क्रमश: हिन्दू, इस्लाम बौद्ध धर्म के महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल है. हिमाचल प्रदेश हिन्दू धार्मिक स्थलो से भरा पड़ा है जिसमें मुख्यतः   ज्वाला जी, नैना  देवीचामुंडा जी बैजनाथ इत्यादि महत्वपूर्ण है.  मैक्लोडगंज तिब्बती संस्कृति का महत्वपूर्ण स्थान तथा कई अन्य महत्वपूर्ण बौद्ध स्थल भी हिमाचल प्रदेश में स्थित है. हिमाचल में ही स्थित  मणिकरण सिख धर्म में अपना अलग स्थान रखता हैउत्तराखंड में स्थित हेमकुंड साहिब भी एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल है. इसके अतिरिक्त हरिद्वार, ऋषिकेश, बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री इत्यादि धार्मिक स्थल बड़ी संख्या में पर्यटको को अपनी ओर आकर्षित करते है. इस प्रकार हिमालय पर्वतीय स्थल अपने धार्मिक महत्व के कारण घरेलू पर्यटको को लुभाने में अपनी विशेष भूमिका रखता है.
उत्तर पूर्व राज्यो में विस्तृत हिमालय का भी आकर्षण देखते ही बनता हैइस प्रदेश के कई महत्वपूर्ण स्थल पर्यटन के केंद्र है उदाहरण के लिए दार्जिलिंग, सिलिगुरी, गुहाटी, कोहिमा, गंगटोक, तवांग इत्यादि. इसके अतिरिक्त इन राज्यो में निवास करने वाली विभिन्न जनजातीय लोगो की संस्कृति इस क्षेत्र में पर्यटन को एक अलग ही पहलू प्रदान करती है.
हिमालय पर्वतीय स्थल केवल प्राकृतिक सौन्दर्य शुद्ध जलवायु के लिए  जाने जाते है अपितु ये स्थल युवा वर्ग की भी खास पसंद है. इसका मुख्य कारण है की इस क्षेत्र में होने वाले  साहसिक खेल  गतिविधिया. रिवर राफ्टिंग, पैराग्लाइडिंग, माउंटेनीरिंग, रॉक क्लाइम्बिंग, ट्रैकिंग, कैंपिंग इत्यादि क्रियाकलापों को बढ़ावा मिल रहा है. ये साहसिक गतिविधिया युवाओ की खास पसंद बने हुए है. इस ओर राज्य सरकारे भी खास ध्यान दे रही है. सरकार की ओर से भी कई प्रकार के साहसिक खेलो का आयोजन  करवाया जाता हैइस प्रकार हिमालय भारत में प्रत्येक वर्ग के लोगो को उनके मनमुताबिक पर्यटन की सुविधा प्रदान करता है.
  किन्तु अत्याधिक पर्यटन के कारण यहाँ पर्यावरणीय समस्या भी विकराल रूप धारण कर रही है. हिमालय पर्वतीय स्थलो पर  सुविधाओ के नाम पर अंधाधुंध विकास जारी है. ये  सब यहाँ की जैव विविधता के लिए बड़े स्तर पर हानिकारक सिद्ध हो रहा है. पहाड़ो के संसाधनो का अत्याधिक उपयोग हो रहा है, वनो की कटाई तेजी से हो रही है, साथ ही होटलो से निकलने वाला कचरा साफ़ नदियो में मिल रहा है. प्रकृति के साथ व्यापक छेड़ छाड़ के परिणाम घातक सिद्ध हो सकते है. विकास को रोका तो नहीं जा सकता किन्तु विकास के कड़े नियम बना कर सत्तत विकास की अवधरणा में अवतरित कर हिमालय के स्वरुप को बचा कर रखा जा सकता है ताकि यह भविष्य में हम गर्व से  सोहन लाल दिवेदी कि इन पंक्तियो को सुना सके.
" खड़ा हिमालय बता रहा है, डरो आंधी पानी में,

 खड़े रहो तुम अविचल हो कर सब संकट तूफानी में."

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